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आज विश्व महिला दिवस है (8 मार्च ).समूचा विश्व महिलाओं की सशक्ति हेतु एक बार फिर संकल्पित होने वाला है .देवी का रूप माने जाने वाली महिलाएं इस दिन अपने वर्ग को जागरूक व सशक्त करने के प्रयास में होंगी .हमारे देश भारत में भी इस दिवस को व्यापक तौर पर मनाये जाने की आशा है ,ताकि भारतीय महिलाओं को अपने प्रति विश्वास की प्राप्ति हो सके या यूँ कहें कि उनकी अपनी आवाज़ बुलंद बुलंद हो सके .
भारत में महिलाओं की सामाजिक व पारिवारिक स्थिति शुरू से ही डावांडोल है .प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में उन्हें उनके सम्मान व अधिकारों से महरूम रखा गया है .हमेशा से ही उन्हें समाज में दोयम दर्जे का स्थान ही प्राप्त है .जब-जब वे अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठातीं हैं ,परिवार व समाज के लोगों के द्वारा महिला होने की दुहाई देकर चुप कर दीं जातीं हैं .उन्हें ऐसा कहा जाता है उनके पतियों द्वारा किये जाने वाले उत्पीडन को सहकर भी उनका सेवा करना पत्नी धर्म होता है .महिलाएं अशिक्षित व दुनियांदारी से अनजान होने के कारण जहर का घूँट पीकर भी चुप रह जाती है ,जिससे पुरुषों को बढ़ावा मिल जाता है और वे अक्सर महिलाओं को प्रताड़ित किया करते हैं .महिलाओं को इस दमघोंटू स्थिति से मुक्त कराने के लिए उन्हें जागरूक व शिक्षित करना अत्यंत आवश्यक हैं .
आदित्य शर्मा
हरनाकुंडी ,दुमका (झारखण्ड )
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