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व्याप्त बेरोजगारी , बढ़ते अपराध की जड़

aditya
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वर्तमान समय में सम्पूर्ण विश्व बढ़ते अपराध से बुरी तरह व्यथित है .हर गली , हर मोहल्ले व हर समाज में अपराध अपने पांवों को पसारे हुए लोगों को अपनी आगोश में लेने को बेताब है .दिनों दिन अपराध की दुनिया में नए -नए खौफनाक शख्सियत पनप रहे हैं और दुनियाँ को ह्रदय विदारक मंजरों से सामना करा रहे हैं .अपराध के ग्राफ में होने वाली लगातार बढ़ोतरी समूचे मानव जाति के लिए चिंतनीय पहलु है .
हर कोई अपराध व अपराधियों को पूरी तरह से गलत मानकर उसकी अपने अनुसार निंदा करता है, पर जब हम इन बढ़ते अपराधों के मुख्य कारणों की पड़ताल करते है ,तो इनमें बेरोजगारी सबसे मुख्य कारक के रूप में उभर कर सामने आती है और हमें ज्ञात होता है कि अधिकांश व्यक्ति अपराध के इस घिनौनी दुनिया में केवल इसीलिए आते है क्योंकि उन्हें अपनी आजीविका को चलाने का सबसे सुगम व बेहतर तरीका यही प्रतीत होता है .अपराधियों में वे शख्स भी होते हैं जो शिक्षित व योग्य होकर भी नौकरी व मनचाहे पदों को तमाम कोशिशों के बावजूद हासिल करने में नाकाम हो जाते हैं ,इसकी भड़ास भी उन्हें अपराध की अँधेरी दुनियां की ओर धकेल देती है .यदि राष्ट्र को अपराध रहित व खुशहाल बनाना है तो बेरोजगारी से निजात पाना अत्यंत जरुरी है .
आदित्य शर्मा ,दुमका

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