Menu
blogid : 23513 postid : 1149489

भारत, असहिष्णुता और हम

aditya
aditya
  • 30 Posts
  • 1 Comment

बीते एक वर्षों में हमारे भारतीय परिवेश की वास्तविक परिस्थिति या यूँ कहें कि हमारे देश के वर्तमान हालात को बयाँ करते हुए कई मामले घटित हुए, जिसने समूचे विश्व का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया .एक तरफ जहाँ ,भारत के प्रति सम्पूर्ण विश्व का नजरिया बदला, वहीँ दूसरी ओर कुछ अवांछनीय व बेतुके मामलों ने भारत के आन बान व शान को लांछित किया . असहिष्णुता पर छिड़ी जंग ने तो भारत के राजनीति और यहाँ के परिवेश में एक भूचाल सा ला दिया ,भारत की प्रमुख पार्टियों के मध्य इस मुद्दे को लेकर खासा घमासान हुआ, लोगों में इस बहुचर्चित मुद्दे के प्रति दिलचस्पी देखी गयी, भारतीय मिडिया ने भी इस मामले को पर्याप्त कवरेज दिया .हर वो चीज हुआ, जो इस तरह के संवेदनशील मुद्दों को लेकर होनी चाहिए थी, कमीं रही तो बस इसकी कि हमारे समाज ने हर बार की भांति इस बार भी, बिना मामले के तह तक पहुंचे, अपना विचार व्यक्त कर दिया.
समाज के समक्ष कटु सत्य परोसने वालों को बागी व देशद्रोही तक करार दिया गया. ऐसा करते हुए हमारे समाज ने अनजाने व अनचाहे रूप से ही मगर असल दोषी व गुनाहगारों को बढ़ावा ज़रूर प्रदान कर दिया. असहिष्णुता के ज्वलनशील मुद्दे को शुरुवाती चिंगारी मिली भारतीय साहित्यकार कलबुर्गी जी की हत्या से, जो मूर्ति पूजा के बड़े आलोचक थे . ज़रा याद कीजिये ,पिछले साल सितम्बर महीने में ,हमारे देश की राजधानी दिल्ली से बस ढाई घंटे की दुरी पर बसे क्षेत्र के उस वाकये को ! जहाँ एक मुस्लिम को गाय के हत्या की अफवाह पर हिन्दुओं द्वारा बेरहमी से पीटते हुए मौत के घाट उतार दिया गया .इस वाकये को बीते दो हफ्ते भी नहीं हुए थे कि एक और दर्दनाक घटना ने समूचे भारत के सहिष्णुता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया. दो और मुस्लिम नागरिकों को हिन्दू समाज द्वारा बीफ़ की तस्करी के झूठे अफवाह के आधार पर मौत नसीब की गयी .क्या ये असहिष्णुता नहीं था ?..

इन घटनाओं के पश्चात् समूचे भारत में सरकार के खिलाफ रोष उत्पन्न होने लगा .बड़ी संख्यां में भारतीय साहित्यकारों और लेखकों ने सरकार के उचित कदम न उठाने के विरोध में अपने प्रतिष्ठित पुरस्कारों को वापस कर दिया .यहाँ तक की भारतीय सेंट्रल बैंक के गवर्नर ” रघुराम राजन ” ने भी इस मुद्दे के प्रति बयान देकर एक बड़ी बहस को हवा दे दी .इसी कड़ी में बॉलीवुड के कुछ जाने माने सितारों ने अपने अनुसार असहिष्णुता के प्रति अपनी राय रखी .देशभर के लगभग 400 न्यूज़ चैनलों में इस मुद्दे को प्रमुखता दी गयी. तमाम तरह के स्टोरीज बना बनाकर जनता को गुमराह किया गया .मामला बस इतना था कि भारत में असहिष्णुता का माहौल बन रहा था, जिसका विरोध कुछ लोगों ने किया था ,पर जिस तरीके से इस मामले को राष्ट्रद्रोह के रूप में देखते हुए ,असहिष्णुता के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों को देशद्रोही करार दिया गया ,वो निश्चित रूप से हमारे समाज के कमजोर पहलु को उजागर करती है.

हमारे देश में अब भी यह मुद्दा रह रहकर हिलोरें मारने लगता है ,भारत जैसे राष्ट्र में असहिष्णुता कहीं न कहीं दीमक कि तरह राष्ट्र की एकता ,अखंडता और बहुलता को खोखला करने में लगी हुई है और हम है कि इसे खारिज करने में लगे हैं. किसी मरीज़ का इलाज तब ही संभव होता है, जब वो अपने अन्दर कि बिमारी के बारे में वाकिफ होते हुए डॉक्टर को अपनी परेशानी बताता है, यदि वह ,लोग व समाज क्या सोचेंगें ? यह सोचकर अपनी बिमारी छिपाता है तो वह व्यक्ति ज्यादा दिनों तक जीवित नहीं रह पाता है .भारत कि वर्तमान स्थिति बिलकुल वैसे मरीज़ सी हो गयी है ,जिसके बारे में मैंने पहले चर्चा की .भारतीय समाज में भी असहिष्णुता रूपी बीमारी धीरे धीरे बढती जा रही है ,पर हमारा समाज व सत्तासीन नेतागण लगातार इस बीमारी में पर्दा डालने की कोशिश में है ,कहीं ऐसा न हो कि अपनी सत्ता बचाने के चक्कर में वे देश को गहरे संकट में डाल दे , जिसका अफ़सोस उनको, हमको व समूचे देश कि जनता को तब हो जब उनकी इस गलती का भीषण परिणाम सामने आने लगे .

आदित्य शर्मा, दुमका
adityasharma.dmk@gmail.com

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh